Govt Schools Closed Big News: 5000 सरकारी स्कूल आज से बंद हो गए, जानें बच्चों की पढ़ाई और शिक्षकों का क्या होगा : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए प्रदेश के 5000 से अधिक सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है जो आज से लागू हो गया है इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद हजारों छात्र छात्राएं और शिक्षक प्रभावित होंगे एवं उनकी शिक्षा व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आने वाला है यह फैसला शिक्षा गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए उठाया गया है लेकिन इसके साथ ही कई सवाल भी खड़े हो गए हैं जिनका जवाब अभिभावक और शिक्षक ढूंढ रहे हैं।
कैसे हुआ यह बड़ा फैसला और क्यों
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में ऐसे हजारों सरकारी स्कूल थे जहां छात्रों की संख्या 50 से भी कम थी और कई स्कूलों में तो केवल 10 से 15 बच्चे ही पढ़ने आते थे ऐसी स्थिति में एक स्कूल चलाने के लिए जो खर्च आता था वह छात्रों की कम संख्या के कारण बिल्कुल व्यर्थ हो रहा था इसलिए सरकार ने इन स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया है ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके और शिक्षकों की कमी भी पूरी हो सके एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी छोटे स्कूलों को बंद करके उनके छात्रों को मुख्य स्कूल में भेजा जाएगा।
छात्रों और अभिभावकों के लिए क्या होंगे फायदे नुकसान
इस बड़े फैसले से छात्रों को कुछ फायदे जरूर मिलेंगे लेकिन साथ ही कई नुकसान भी झेलने पड़ेंगे फायदे की बात करें तो अब बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी क्योंकि मर्ज किए गए स्कूलों में अधिक शिक्षक होंगे और संसाधन भी बेहतर होंगे बच्चों को लाइब्रेरी कंप्यूटर रूम और अन्य सुविधाएं मिलेंगी जो छोटे स्कूलों में उपलब्ध नहीं थी लेकिन नुकसान की बात करें तो छोटे बच्चों को अब अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी स्कूल जाने के लिए जो उनके लिए मुश्किल होगी खासकर गांव के बच्चों के लिए जो पैदल स्कूल जाते थे उन्हें अब 1 से 2 किलोमीटर अधिक चलना पड़ेगा और अभिभावकों को भी बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने में दिक्कत होगी।
शिक्षकों और स्कूल स्टाफ की नई व्यवस्था
स्कूल बंद होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह था कि शिक्षकों और स्कूल स्टाफ का क्या होगा इसके लिए सरकार ने पहले से ही व्यवस्था बनाई है सभी शिक्षक शिक्षामित्र रसोईया और अन्य स्टाफ को उन्हीं स्कूलों में भेजा जाएगा जहां बच्चों को शिफ्ट किया गया है इससे किसी भी शिक्षक या स्टाफ की नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वे अपनी सेवाएं नए स्कूल में जारी रख सकेंगे 1 जुलाई से सभी शिक्षक और स्टाफ अपने नए स्कूलों में जाकर काम शुरू करेंगे।
खाली स्कूल भवनों का होगा बेहतर उपयोग
बंद किए गए स्कूलों की इमारतों को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा बल्कि उनका उपयोग आंगनबाड़ी कार्यों के लिए किया जाएगा इन भवनों में 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए प्री प्राइमरी कक्षाएं चलाई जाएंगी और उनके लिए विशेष शिक्षक भी तैनात किए जाएंगे इसके अलावा इन भवनों में स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि गांव के लोगों को मुफ्त इलाज मिल सके कुछ भवनों में सामुदायिक केंद्र भी बनाए जा सकते हैं जहां गांव के लोग विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे।
आजादी के बाद पहली बार हुआ ऐसा ऐतिहासिक बदलाव
शिक्षा विभाग के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब आजादी के बाद स्कूलों की संख्या कम की गई है पहले हमेशा नए स्कूल खोले जाते थे और उनकी संख्या बढ़ाई जाती थी लेकिन पहली बार इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बंद किए गए हैं यह बदलाव केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था के लिए एक नया मॉडल बन सकता है अगर यह सफल रहा तो अन्य राज्य भी इसे अपना सकते हैं हालांकि शिक्षाविदों और जनमानस में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया आ रही है कुछ लोग इसे सही मानते हैं तो कुछ लोग इसे शिक्षा के निजीकरण की दिशा में एक कदम बता रहे हैं।
क्या हो सकते हैं भविष्य में और भी बदलाव
रिपोर्ट्स के अनुसार यह केवल पहला चरण है और भविष्य में और भी बड़े बदलाव हो सकते हैं शिक्षा विभाग ने लगभग 27000 स्कूलों को चिन्हित किया है जो आने वाले समय में बंद किए जा सकते हैं इससे पूरी शिक्षा व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आ सकता है और गांव में शिक्षा का स्वरूप बदल सकता है हालांकि सरकार का कहना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होगी लेकिन विपक्ष और शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह गरीब बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है केवल समय ही बताएगा कि यह फैसला कितना सफल रहता है।